MP Board Best Of Five Scheme 2024-25 : बेस्ट ऑफ़ फाइव योजना पर नए नियम से विभाग चिंतित, तिमाही का परीक्षा परिणाम खराब

भोपाल । मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल की लिस्ट फाइव योजना समाप्त होने के बाद कल शिक्षा विभाग एवं विद्यार्थी दोनों चिंतित हैं। हाल ही में एमपी बोर्ड की तिमाही परीक्षाएं संपन्न हुई एवं उसके रिजल्ट ने विभाग को चिंता में डाल दिया है । इसके बाद भोपाल से सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को रिजल्ट सुधारने हेतु आवश्यक कार्य करने की दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

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एमपी बोर्ड की कक्षा 9 से 12वीं तक की आयोजित की गई त्रैमासिक परीक्षाओं में सबसे खराब रिजल्ट दसवीं कक्षा का सामने आया है इसलिए विभाग को अब बोर्ड परीक्षा में दसवीं कक्षा का रिजल्ट बिछड़ने की चिंता बढ़ने लगी है।

दरअसल पिछले वर्ष तक मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल की दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में विद्यार्थियों को बेस्ट ऑफ फाइव योजना का लाभ मिलता था जिसमें 6 विषय में से किसी एक विषय में काम नंबर या फिर फेल होने पर विद्यार्थी को कुल पांच विषयों में अच्छे अंक को जोड़कर रिजल्ट तैयार किया जाता था।

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इस योजना के चलते कई विद्यार्थी महत्वपूर्ण विषयों जैसे गणित अंग्रेजी और विज्ञान का अध्ययन करना ही बंद कर देते थे और इस वजह से भविष्य में उन्हें परेशान होना पड़ता था।

हालांकि पिछले वर्ष इस योजना के साथ भी 10वीं और 12वीं कक्षा का रिजल्ट कुछ खास नहीं रहा था इसलिए अब स्कूल शिक्षा विभाग ने जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि वह कमजोर बच्चों को चिन्हित कर उनकी रिमेडिकल कक्षाएं लगाई और उनकी तैयारी को और अधिक बेहतर बनाएं।

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दिसंबर में चलने वाली छमाही परीक्षाओं के लिए भी निर्देश जारी कर दिए गए हैं जिसमें परीक्षा के पहले अथवा बाद में विद्यार्थियों कक्षाएं लगाकर अगले विषय की तैयारी करवाई जाएगी एवं अर्धवार्षिक परीक्षा संपन्न होने के बाद विद्यार्थियों को उनके उत्तर पुस्तिकाएं भी दिखाई जाएगी ताकि उन्हें पता चल सके कि कहां पर गलती की जा रही है और उसे कैसे सुधार किया जा सकता है।

छमाही परीक्षा के पहले विद्यार्थियों के 60% सिलेबस को बंद करना है और इसके बाद 12वीं की रेमेडियल कक्षाओं का संचालन किया जाएगा।

सभी स्कूलों की नौवी से 12वीं तक की तिमाही परीक्षा के परिणामों की समीक्षा की गई है। 10वी का परिणाम अधिक खराब है। इसके लिए प्राचार्यों को निर्देशित किया गया है कि कमजोर विद्यार्थियों के लिए अलग से कक्षाएं लगाई जाएं।

  • एनके अहिरवार, डीईओ, भोपाल
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